महिलाओं में अलग होते है हृदय रोग के लक्षण और कारण

महिलाओं में अलग होते है हृदय रोग के लक्षण और कारण

पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाएं हृदय रोग की पेशेंट आमतौर पर नहीं होतीं। हालांकि ऐसा कुछ नहीं है। हृदय रोग महिलाओं की बड़ी समस्‍या बनकर सामने आ रहा है। एक हालिया शोध से पता चला है कि ऐसी महिलाएं जिनमें मासिक धर्म 12 वर्ष की उम्र से पहले शुरू हो गया और मेनोपॉज 47 वर्ष से पहले आ गया वो हृदय रोग और स्‍ट्रोक के उच्‍च जोखिम वाले समूह में आती हैं। ऐसी महिलाओं में इन बीमारियों का जोखिम सामान्‍य महिलाओं से 10 से लेकर 33 फीसदी तक अधिक रहता है। यही नहीं जिन महिलाओं को मिसकैरेज, मृत बच्‍चे के जन्‍म, कम उम्र में गर्भधारण करना पड़ा या जिन्‍हें हिस्‍टेरक्‍टमी की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा वो भी हृदय रोग के उच्‍च जोखिम समूह में शामिल हैं। ऐसी महिलाओं को नियमित रूप से अपनी जांच करवानी चाहिए।

महिलाओं में लक्षण

भारत की महिलाओं में अस्‍वाभाविक मौत के पीछे हृदय रोग नंबर एक कारक है। प्रति वर्ष बीमारी से जान गंवाने वाली हर तीन में से एक महिला की मौत हृदय रोग के कारण होती है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि महिलाओं में इस बीमारी के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं। जहां पुरुषों में आमतौर पर सबसे कॉमन लक्षण छाती में दर्द है वहीं महिलाओं में छाती की जगह जबड़े, गर्दन या गर्दन के पिछले हिस्‍से में दर्द होता है। या फि‍र उनमें सांस की कमी, कफ या जी मितलाने जैसे लक्षण होते हैं। जाहिर है ऐसे लक्षणों को हृदय रोग से जोड़ना मुश्किल होता है इसलिए महिलाओं में बीमारी की शुरुआत में इसका पता नहीं चलता है और उनकी हालत बिगड जाती है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

दिल्‍ली के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि पारंपरिक रूप से हृदय रोग को महिलाओं की बीमारी नहीं माना जाता। इसलिए जब कोई महिला सांस में कमी की शिकायत करती है तो आसानी से उसे किसी दूसरी समस्‍या से जोड़ दिया जाता है। महिलाओं में दिखने वाले लक्षणों का पैटर्न भी मर्दों के मुकाबले थोड़ा अलग होता है और इसके कारण भी बीमारी का पता चलने में कुछ देर हो जाती है। एंजाइना का दर्द जो छाती की बाईं तरफ आमतौर पर होता है हो सकता है कि ये दर्द महिलाओं को कभी हो ही नहीं। इसकी जगह पर उन्‍हें कंधे, बैक, नेक आदि में दर्द हो सकता है। इनके अलावा एक मात्र लक्षण के रूप में सांस की कमी ही सामने आ सकती है।

महिलाओं में जोखिम घटक क्‍या होते हैं

ये तो सभी जानते हैं कि मर्दों में स्‍मोकिंग, हाई कोलेस्‍ट्रोल, हाई बीपी, शारीरिक कार्य में कमी, अस्‍वास्‍थ्‍यकर भोजन आदि हृदय रोग के मुख्‍य कारक होते हैं मगर महिलाओं के मामले में इनमें से अधिकांश कारक नहीं होते हैं। तो फ‍िर महिलाओं में जोखिम की वजह क्‍या है? दिल्‍ली स्थित नेशनल हार्ट इंस्‍टीट्यूट के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी और वरिष्‍ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर ओ.पी. यादव कहते हैं कि महिलाओं में जोखिम घटक बिलकुल अलग होते हैं, जैसे कि बर्थ कंट्रोल की गोली का लगातार सेवन, खून की कमी और मेनोपॉज आदि।

डॉक्‍टर यादव और डॉक्‍टर अग्रवाल दोनों के अनुसार वक्‍त की जरूरत है कि लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जाए कि हृदय रोग किसी भी उम्र में किसी भी व्‍यक्ति को हो सकता है भले ही वो पुरुष हो या महिला। सिर्फ समय रहते बचाव के उपाय करने से ही जोखिम घटकों को कम किया जा सकता है और खासकर महिलाओं को ज्‍यादा सतर्क रहने और 50 की उम्र के बाद नियमित स्‍वास्‍थ्‍य जांच कराते रहने की जरूरत है।

महिलाओं के लिए डॉक्‍टर अग्रवाल के सुझाव

1. सप्‍ताह के अधिकांश दिन वजन को नियंत्रित करने के लिए एक से डेढ़ घंटे शारीरिक श्रम, अन्‍यथा 30 मिनट कम से कम शारीरिक श्रम

2. सिगरेट पीना या सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से पूरी तरह बचें  

3. कमर के घेरे को 30 इंच के अंदर ही रखने का प्रयास करें

4. हृदय के लिए लाभदायक खाना खाएं, खाने में ओमेगा 3 फैटी एसिड को शामिल करें

5. शुगर, बैड कोलेस्‍ट्रोल और बीपी को कंट्रोल में रखें

6. यदि महिला की उम्र 65 वर्ष से अधिक है तो डॉक्‍टर की सलाह से रोज एस्‍प्रीन की गोली दी जा सकती है

7. सिगरेट पीने वाली महिलाओं को गर्भनिरोधक गोली से परहेज करना चाहिए

8. यदि अवसाद हो तो उसका इलाज करवाना चाहिए

जो महिलाएं उच्‍च जोखिम में हैं  

1. डॉक्‍टर की सलाह से एस्‍प्रीन की 75 से 150 एमजी की गोली बचाव के रूप में ले सकती हैं

2. हाई बीपी को कंट्रोल में रखना जरूरी है

3. एंटी ऑक्सिडेंट विटामिन न लें

4. फोलिक एसिड सप्‍लीमेंट बंद कर दें

5. हार्मोन रिप्‍लेसमेंट थेरेपी न करवाएं

6. बैड कोलेस्‍ट्रोल का स्‍तर 80 से नीचे बनाए रखें

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।